न्यूज 24 ब्यूरो, नई दिल्ली (29 अप्रैल): एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत के लिए 800 मीटर की दौड़ में गोल्ड जितने वाली 30 वर्षीय गोमती मरिमुतु की कहानी भावुक करने वाली है। गोमती ने इस चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड जीतकर सब क ध्यान अपनी ओर खिंचा है। उन्होंने 800 मीटर की रेस 2 मीनट 2.70 सेकेंड में पूरी की। मजेदार बात यह है कि रेस से पहले शायद ही कोई था जो यह सोच रहा था कि गोमती इस रेस में गोल्ड जीत सकती है। गोल्ड जीतने से पहले गोमती गुमनामी की जिंदगी जी रहीं थीं।
800 मीटर के रेस के शुरुआत में गोमती पिछे चल रही थी, लेकिन आखिरा 200 मीटर की दौड़ में उन्होंने अपनी पूरी जान झोंक दी। गोमती ने अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़कर पहला स्थान प्राप्त किया। इस जीत के बाद उन्होंने सारा श्रेय अपने पिता को दिया है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
यहां तक लाने में पिता का हाथ
गोमती कहती हैं कि मेरे पिता ने मेरे लिए कड़ी मेहनत की है। आज मैं जो भी हूं अपने पिता के बदौलत हूं। उन्होंने मुझे यहां तक पहुंचाने के लिए कई दिक्कते झेंली। गोमती भरे गले से अपने पिता को याद करते हुए बोलती हैं कि अगर वो आज होते तो मैं उन्हें भगवान मानती।
अपने परेशानी भरी दिनों को याद करते हुए गोमती कहती हैं कि मैं रोज सुबह 4 बजे उठती थी। उस वक्त शहर जाने के लिए बसों की सर्विस अच्छी नहीं थी, बिजली भी नहीं थी मेरे पिता के पैर में दिक्कत थी, लेकिन वो फिर भी मुझे बस तक छोड़ते थे। जब मेरी मां की तबीयत खराब रहती तो मेरे पिता मां बनकर मुझे खाना खिलाते थे। अपने पिता को याद करते हुए गोमती कहती हैं कि जब मैं खेलने लगी तो हमारे पास खाने के भी लाले पड़े रहते थे। डाइट के बारे में तो हम सोच भी नहीं सकते थे। मेरे पिता मुझे तो खाना देते थे लेकिन खुद जानवरों का खाना खाते थे। मैं उन दिनों को कभी नहीं भूल सकती अगर आज वो हमारे पास होते तो मैं उन्हें भगवान का दर्जा देती।
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