Photo Gallery

KANYA MAHAVIDYALAYA, MIRAJ

"आपल्या सर्वांचे आमच्या कन्या महाविद्यालय, मिरजच्या शारीरिक शिक्षण आणि क्रीडा विभागामध्ये हार्दिक स्वागत आहे. आमच्या या क्रीडा विभागााच्या ब्लॉगला सतत भेट देत रहा, एखादी पोस्ट आवडल्यास नक्कीच शेअर करा. तसेच काही सुचना असतील तर त्याही शेअर करा. आमचा ब्लॉग आवडल्यास नक्कीच फॉलो करा म्हणजे आपल्याला आमच्या प्रत्येक पोस्टची माहिती कायम मिळत राहिल. आपल्या सुचना व शुभेच्छा आमच्या विभागास कायमच प्रोत्साहित करित राहतील."

Monday, April 4, 2022

ऑलिम्पिक स्टार योगेश्वर दत्त

 ऑलिम्पिक स्टार योगेश्वर दत्त

योगेश्वर दत्त भारत के जाने – माने फ्रीस्टाइल कुश्तीबाज (Wrestler) है. ये विश्व के सबसे अच्छे कुश्तिबाजों में से एक है, जिन्होंने अपने देश भारत का प्रतिनिधित्व पूरे विश्व में किया है. योगेश्वर 8 साल की उम्र से कुश्ती का खेल खेल रहे है. इस युवा कुश्तीबाज ने “कॉमनवेल्थ गेम्स” 2003 में स्वर्ण पदक जीत कर, दुनिया में अपनी प्रतिभा साबित की. इस जबरदस्त उपलब्धि के बाद इन्होंने अपने देश के लिए स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक को मिला कर कई सारे अवार्ड जीते. ये बहुत से प्रतिभाशाली खिलाडियों में से एक है. सन 2012 में इन्होंने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में 60kg वर्ग में कांस्य पदक जीता, जिससे इन्हें सन 2013 में भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे “सर्वोच्च नागरिक सम्मान पदम्श्री” के साथ पुरस्कृत किया गया. 2014 में हुए ग्लासगो (Glasgow) “कॉमनवेल्थ गेम्स” में इन्होंने स्वर्ण पदक जीता. इसी के चलते सन 2016 में “रियो ओलंपिक” में भी योगेश्वर क्वालीफाई हुए, किन्तु वे इसमें कुछ खास प्रदर्शन न दिखा सके.

  जीवन परिचय

   1. पूरा नाम: योगेश्वर दत्त     

   2. निकनेम: योगी, पहलवान जी

   3. जन्म: 2 नवम्बर 1982

  4. जन्म – स्थान: भैंसवाल कलन गाँव (Bhainswal kalan), सोनीपत जिला (Sonipat district), हरियाणा (Haryana)

   5. राष्ट्रीयता: भारतीय

   6. खेल: कुश्ती (Wrestling)

   7. कद: 5 फ़ुट 6 इंच

   8. पिता का नाम: राम मेहर (शिक्षक)

   9. माता का नाम: सुशीला देवी (शिक्षिका)

योगेश्वर दत्त का जन्म और शुरूआती जीवन

योगेश्वर दत्त का जन्म 2 नवम्बर सन 1982 को हरियाणा के सोनीपत जिले के भैंसवाल कलन (Bhainswal kalan) गाँव में हुआ. योगेश्वर दत्त बहुत ही शिक्षित परिवार से सम्बन्ध रखते है. इनके पिता श्री राम मेहर, माता श्रीमति सुशीला देवी और इनके दादाजी पेशे से शिक्षक है. योगेश्वर अपनी माँ के ज्यादा करीब थे, उनकी माँ ना सिर्फ एक अच्छी शिक्षिका थी बल्कि एक अच्छी माँ भी थी, जोकि अपने बेटे को जीवन की अच्छी सीख देती थी. योगेश्वर अपनी जिन्दगी के सारे अच्छे, बुरे और छोटे – छोटे ख़ुशी के पल अपनी माँ के साथ बांटते है. इनका परिवार चाहता था कि योगेश्वर उनके नक्शे कदम पर चलें, किन्तु उन्हें बहुत ही कम उम्र से ही कुश्ती में रूचि थी. जब वे छोटे थे तब वे अपने गाँव के एक बलराज नाम के पहलवान के कारनामे देख कर बहुत प्रेरित हुए और तभी से उन्होंने कुश्ती को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया.

योगेश्वर दत्त शिक्षा 

योगेश्वर दत्त ने स्कूल स्तर पर कुश्ती में प्रदर्शन किया और कुछ प्रतियोगिताओं में जीत भी हासिल की, जिससे उन्होंने अपने विश्वास को मजबूत बनाया. सन 1992 में जब वे 5वीं कक्षा में थे, उन्होंने “स्कूल चैंपियनशिप” जीती और उसके बाद उनके परिवार ने उन्हें प्रोत्साहित किया एवं कुश्ती में उनकी रूचि का समर्थन किया. सन 1994 में योगेश्वर दत्त ने पौलैंड में “अन्तर्राष्ट्रीय स्कूल कैडेट खेलों” में भाग लिया, और स्वर्ण पदक जीता. सन 1996 में वे अपनी पढ़ाई पूरी कर, अपने माता – पिता को संतुष्ट कर, कुश्ती पर और अधिक ध्यान केन्द्रित करने के लिए दिल्ली में “छत्रसाल स्टेडियम” में स्थानांतरित हो गए. तभी से इनके कैरियर की शुरुआत हुई.

योगेश्वर दत्त का कैरियर (Yogeshwar Dutt Career) –

योगेश्वर दत्त के कैरियर की शुरुआत सन 2003 में लन्दन में आयोजित “कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप” से हुई, जहाँ उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व कर 55kg फ्रीस्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. वे सन 2004 के “एथेंस ओलंपिक” में भारतीय कुश्ती दल का हिस्सा बने और पुरुष के 55kg फ्रीस्टाइल वर्ग में 18वें स्थान पर थे.

सन 2006

योगेश्वर ने 3 अगस्त सन 2006 में अपने पिता को खो दिया था, सिर्फ 9 दिन पहले वे दोहा में आयोजित “एशियाई गेम्स” के लिए गए हुए थे. वे घुटने की चोट से भी ग्रस्त थे, किन्तु अपने सभी भावात्मक और शारीरिक आघात के बावजूद भी वे 60 kg वर्ग में कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहें

सन 2008

योगेश्वर दत्त ने सन 2008 में एशियाई जेजू सिटी, दक्षिण कोरिया में आयोजित चैंपियनशिप में एक स्वर्ण पदक जीत कर 2008 के “बीजिंग ओलंपिक” के लिए क्वालीफाई किया. योगेश्वर का यह दूसरा ओलंपिक था, किन्तु 60kg फ्रीस्टाइल वर्ग में वे असफल रहे.

सन 2010

योगेश्वर दत्त ने सन 2010 में नई दिल्ली में आयोजित “कॉमनवेल्थ गेम्स” में भाग लेने के लिए अपने घुटने की चोट से लड़ाई की, और सभी बाधाओं से लड़ते हुए वे 60kg फ्रीस्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के लिए चल दिए. उस समय उनके घुटने की सर्जरी भी हुई थी, लेकिन उसके बावजूद भी वे इस खेल का हिस्सा बने.

सन 2012

सन 2012 में कज़ाखस्तान के अस्ताना में आयोजित “एशियाई योग्यता प्रतियोगिता” में योगेश्वर ने रजत पदक जीतकर 2012 के “लन्दन ओलम्पिक” अपनी जगह बनाई.

इसके पश्चात् 12 अगस्त 2012 में “लन्दन ओलंपिक” में पुरुष के फ्रीस्टाइल 60kg वर्ग में कांस्य पदक जीतकर उस पल को यादगार बना दिया. सन 1952 में के. डी. जाधव एवं सन 2008 और सन 2012 में सुशील कुमार के बाद योगेश्वर दत्त भारत के तीसरे ओलंपिक पदक जीतने वाले कुश्तीबाज बने. यह लन्दन ओलंपिक था, जहाँ योगेश्वर दत्त ने पहली बार अपनी फ़ाइल या “पैर घुमा” तिकड़म का इस्तेमाल किया और यह उनके लिए बेहद सफल साबित हुआ.

सन 2014

इसके पश्चात् योगेश्वर दत्त ने सन 2014 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो (Glasgow) में आयोजित “कॉमनवेल्थ गेम्स” में भारत का प्रतिनिधित्व कर बहुत ही अच्छा प्रदर्शन दिया, और वे 60 kg फ्रीस्टाइल स्पर्धा जीतकर स्वर्ण पदक के हक़दार बने. कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने सभी विरोधियों में उनका शासन था.

सन 2014 में ही योगेश्वर दत्त ने “एशियाई गेम्स” में 65kg फ्रीस्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता.

सन 2015

सन 2015 में योगेश्वर दत्त को हरियाणा हेम्मर्स (Hammers) के द्वारा प्रो कुश्ती लीग (PWL) के पहले संस्करण(first edition) के तहत खेल की 6 टीमों में से एक टीम की “आइकन” श्रेणी में जोड़ लिया गया, जोकि भारत के 6 शहरों में 10 दिसंबर से लेकर 27 दिसम्बर तक आयोजित की गई थी.

सन 2016

योगेश्वर दत्त ने फरवरी सन 2016 में अस्ताना में आयोजित “एशियाई ओलंपिक क्वालीफ़ायर्स” को क्वालीफाई कर, रियो में होने वाले ओलंपिक में अपनी जगह बना ली.

सन 2016 में आयोजित “रियो ओलंपिक” में योगेश्वर दत्त ने मंगोलिया के गंज़ोरिगीं मंदाख्नारण(Ganzorigiin Mandakhnaran) के खिलाफ खेल खेला. किन्तु वे पहले ही चरण में असफल रहे. अन्तराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस इतिहास को यहाँ पढ़ें.

इस तरह योगेश्वर दत्त का कैरियर भारत का गौरव बढ़ा रहा है.

योगेश्वर दत्त को उनके कैरियर में और भी पुरस्कारों से नवाज़ा गया.

सन 2012 में भारत सरकार द्वारा “राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड” दिया गया.

सन 2012 के “लन्दन ओलंपिक” में कांस्य पदक जीतने के बाद देश की सरकार द्वारा दिए गए पुरुस्कार-

हरियाणा सरकार द्वारा 10 मिलियन नगद ईनाम में दिए गए. राजस्थान सरकार द्वारा 5 मिलियन रूपये दिए गए. एक PSU बैंक द्वारा 4*4 वाहन दिया गया.

हरियाणा सरकार ने गुडगांव में 250 मिलियन के लायक जमीन आवंटित (Allocate) करने का निर्णय लिया गया.

इस तरह योगेश्वर दत्त ने अपने कैरियर में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की जिससे उन्होंने अपने परिवार के साथ – साथ देश का भी नाम ऊँचा कर दिया.



(खासाबा जाधव यांच्या जयंतीनिमित्त पहिला राज्य क्रीडा दिन दिनांक १५ जानेवारी २०२२ पासून प्रत्येक आठवड्याला ऑलिम्पिक स्पर्धेत पदक प्राप्त खेळाडूंची माहितीची सृंखला शारिरीक शिक्षण व क्रीडा विभाग मार्फत आपल्यासाठी सुरू केली आहे. आपणास ही संकल्पना कशी वाटली या बद्दल जरुर प्रतिक्रिया द्यावी.)


2 comments:

  1. व्हेरी गुड इन्फॉर्मेशन सर
    तुमचं खूप अगदी मनापासून आभारी आहे सर कोल्हापूर जिल्हा तालीम संघ इचलकरंजी तालीम संघ तसेच महाराष्ट्रातील सर्व कुस्तीगीर महिला कुस्तीगीर पुरुष कुस्तीगीर यांच्या सर्वांच्या वतीने खूप खूप मनापासून आभारी आहे आहे ओलंपिक पदक विजेते श्री योगेश्वर दत्त पैलवान यांच्याबद्दल बर्‍याच काही गोष्टी त्या लोकांना माहीत नव्हत्या त्या लोकांच्या पर्यंत पोचवण्याचे काम तुम्ही केला आहात त्यामुळे तुमची खूप अगदी मनापासून आभारी आहे

    ReplyDelete
  2. खूप खूप धन्यवाद.... वरील माहिती आपण सर्वांपर्यंत पोहोचवण्यासाठी मदत करा यातून सर्वांना महिती मिळेल.

    ReplyDelete

Thanks you

Participate in All India Interuniversity SOFTBALL tournament 2024-25

 दिनांक ३० एप्रिल ते ४ मे २०२५ रोजी विश्वकर्मा सिम्हापूरी युनिव्हर्सिटी, नेल्लूर, आंध्रप्रदेश येथे होत असलेल्या अखिल भारतीय सॉफ्टबॉल स्पर्धे...